BA Semester-1 Raksha Evam Strategic Study - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - बीए सेमेस्टर-1 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन - सरल प्रश्नोत्तर समूह
लोगों की राय

बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-1 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन

बीए सेमेस्टर-1 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :250
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2635
आईएसबीएन :0

Like this Hindi book 0

5 पाठक हैं

बीए सेमेस्टर-1 रक्षा एवं सैन्य अध्ययन

प्रश्न- मनोवैज्ञानिक युद्ध के कौन-कौन से हथियार हैं? व्याख्या कीजिए।

अथवा
मनोवैज्ञानिक युद्ध से आप क्या समझते हैं? इसकी विभिन्न विधियों की विवेचना कीजिए।
अथवा
मनोवैज्ञानिक युद्ध-कर्म पर एक निबन्ध लिखिए।
अथवा
मनोवैज्ञानिक युद्ध-कला की विवेचना कीजिए।
अथवा
मनोवैज्ञानिक युद्ध-कर्म क्या है? इनके तत्वों, शस्त्रों और महत्व का वर्णन कीजिए।
अथवा
मनोवैज्ञानिक युद्ध क्या है? मस्तिष्क प्रक्षालन एवं दहशत के महत्व का वर्णन कीजिए।
अथवा
आधुनिक युग में मनोवैज्ञानिक युद्ध संक्रिया के महत्व पर एक निबन्ध लिखिए।
अथवा
मनोवैज्ञानिक युद्ध के प्रभावों की व्याख्या कीजिए।
सम्बन्धित लघु प्रश्न
1. मनोवैज्ञानिक युद्ध को परिभाषित कीजिए।
2. मनोवैज्ञानिक युद्ध पर टिप्पणी लिखिये।

उत्तर -

मनोवैज्ञानिक युद्ध कर्म
(Psychological Warfare)

पूर्ण युद्ध की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए वास्तविक युद्ध के पूर्व प्रचार के साधनों का प्रयोग जब इस उद्देश्य से किया जाये कि शत्रु के इरादे का स्पष्ट पता चल जाये और उसकी सैनिक योजनाओं तथा गतिविधियों को त्रुटिपूर्ण कर दिया जाये और उसकी जनता का मनोबल गिर जाये जिससे कि वास्तविक युद्ध में विजय सरल हो जाये। इस प्रकार के प्रयासों को मनोवैज्ञानिक युद्ध की संज्ञा दी जाती है।

यौद्धिक प्रक्रिया में सभी साधनों का प्रयोग करने के पश्चात् विरोधी को अपनी बात मनवाने पर विवश कर दिया जाता है या आत्म-समर्पण करा लिया जाता है, वही प्रक्रिया यदि बिना शस्त्रास्त्रों के प्रयोग के अपनी तर्क एवं तथ्यों से करा लिया जाये तो इस युद्ध प्रक्रिया को मनोवैज्ञानिक युद्ध कर्म कहते हैं। या ऐसा कहा जाये कि बिना शस्त्रास्त्रों के उपयोग किये युद्ध जीत लेना मनोवैज्ञानिक युद्ध प्रक्रिया कहलाता है।

पॉल. एम. ए. लाइनबर्गर ने मनोवैज्ञानिक युद्ध की परिभाषा देते हुए कहा है कि - "व्यापक अर्थ में मनोवैज्ञानिक युद्ध संक्रिया युद्ध के कार्यान्वन में मनोविज्ञान के विज्ञान का प्रयोग है। मनोवैज्ञानिक युद्ध के संकुचित अर्थ में शत्रु विरुद्ध सैनिक कार्यवाहियों के साथ-साथ प्रचार तथा प्रसार के सहायक साधनों का प्रयोग निहित है। "

इस परिभाषा को और सरल शब्दों में लाइनबर्गर ने कहा है कि- “सैन्य लाभों को बिना सैन्य शक्ति प्रयोग किये प्राप्त करने का प्रयास किया जाता है।" इसके अन्तर्गत शत्रु की सेना, जनता एवं उसकी मदद को आये अन्य देशों के सैनिक के मस्तिष्क को प्रभावित करने का प्रयास किया जाता है। मनोवैज्ञानिक तरीकों का प्रयोग कर शत्रु सैनिकों की इच्छाओं में परिवर्तन करना, उनमें भय पैदा करके मनोबल को गिराना आदि क्रियाओं के द्वारा उसको कमजोर बनाया जाता है। जिससे शत्रु की स्थिति युद्ध न कर पाने की हो जाती है। द्वितीय विश्वयुद्ध में फ्रांस ने अंग्रेजों की मदद को आये सैनिकों में असहयोग और घृणा की भावना उत्पन्न करने के लिए फ्रांस में ऐसी पर्चियाँ विमानों द्वारा गिराई गई जिनमें अंग्रेज सैनिकों को फ्रांसीसी स्त्रियों के साथ दुर्व्यवहार करते हुए दिखाया गया था। इन पर्चियों को गिराने का मुख्य उद्देश्य अंग्रेज सैनिकों की सहायता को आये सैनिकों में अंग्रेज सैनिकों के खिलाफ नफरत और घृणा उत्पन्न करना था।

मनोवैज्ञानिक युद्ध कला की प्रक्रिया को जर्मन ने युद्ध में भय पैदा करने की तकनीक अपनायी। इस भय का परिणाम यह हुआ कि चेकोस्लाविया ने बिना गोली चलाये ही जर्मन के समक्ष आत्म-समर्पण कर दिया।

मनोवैज्ञानिक युद्ध प्रक्रिया का प्रयोग कर अपने सैनिकों एवं असैनिकों के मनोबल को उच्च बनाये रखा जा सकता है तथा उसका विकसित रूप ही 'शीत युद्ध' में सफलता का परिचायक है और वास्तविक युद्ध से बचाता है। इसी कारण फील्ड मार्शल मान्टगुमरी के शब्दों को नहीं भुलाया ज्ञा सकता। "युद्ध प्रारम्भिक रूप में मनुष्यों के हृदय में जीता जाता है।'

आधुनिक युग में मनोवैज्ञानिक युद्ध के महत्व - '

हथियारों की अपेक्षा मनोबल तिगुना शक्तिशाली है।' यह कथन बिल्कुल सत्य है और युद्धों में हथियारों का प्रयोग करके शत्रु सैनिकों को मारा तो जा सकता है किन्तु उनका मनोबल नहीं समाप्त किया जा सकता और युद्धों में विजय प्राप्त करने के लिए मनोबल का होना अति आवश्यक होता है। इसलिए शत्रु सैनिकों का मनोबल समाप्त करने के लिए मनोवैज्ञानिक युद्ध लड़ा जाता हैं। मनोवैज्ञानिक युद्ध के द्वारा शत्रु सैनिक मानसिक तौर पर बेकार हो जाते हैं और उनसे मनचाहा कार्य करवाया जा सकता है। मनोवैज्ञानिक युद्ध सस्ता और प्रभावशाली है, इसीलिए हिटलर ने कहा था कि "मैं शत्रु को सैनिक साधनों से क्यों पराजित करूँ यदि मैं ऐसा ही अधिक अच्छी तरह से और मितव्ययिता के साथ अन्य साधन से कर सकता हूँ।'

उपरोक्त तर्कों एवं कथनों के आधार पर यह कह सकते हैं कि वास्तविक युद्ध हो या शीत युद्ध काल हर समय मनोवैज्ञानिक युद्ध का अत्यधिक महत्व है। इसीलिए आधुनिक काल में मनोवैज्ञानिक युद्ध पर अधिक बल दिया जाता है।

मनोवैज्ञानिक युद्ध के उद्देश्य

लाइनबर्गर ने कहा था कि "मनोवैज्ञानिक युद्ध संक्रिया द्वारा सैन्य लाभों को बिना सैन्य शक्ति का प्रयोग किये प्राप्त करने की कोशिश की जाती है। मनोवैज्ञानिक युद्ध के निम्नलिखित उद्देश्य हो सकते हैं-

(1) शत्रु के मनोबल को गिराना एवं उसको हतोत्साहित करना।

(2) शत्रु के प्रतिरोध की भावना को नष्ट करना एवं उनके मध्य अव्यवस्था फैलाना।

(3) प्रचार के माध्यम से शत्रु को इतना हतोत्साहित करना ताकि वे सही ढंग से सोचने व कार्य करने योग्य न रह जायें।

(4) तटस्थ राष्ट्रों को या तो अपने पक्ष में करना या कम से कम उन्हें तटस्थ ही रहने देना।

(5) शत्रु राष्ट्र में समाज विरोधी, राष्ट्र विरोधी तथा स्वार्थी तत्वों को बढ़ाना।

(6) शत्रु सेना में अफवाह, उड़ा कर उन्हें आत्मसमर्पण करने पर मजबूर करना।

(7) शत्रु के सहायतार्थ आई मित्र राष्ट्रों की सेना और जनता में अविश्वास उत्पन्न करना।

मनोवैज्ञानिक युद्ध-कर्म के साधन एवं प्रभाव है
(Effect and Resources of Psychological Warfare)

मनोवैज्ञानिक युद्ध प्रक्रिया को मुख्यतः निम्नलिखित उपायों द्वारा कार्यान्वित किया जाता है -

(1) प्रचार (Propaganda) मनोवैज्ञानिक युद्ध का प्रमुख साधन प्रचार (Propaganda) है। इसके द्वारा अपने पक्ष के तर्कों एवं तथ्यों को सही तथा शत्रु पक्ष के तथ्यों एवं कार्यों को गलत सिद्ध करने का प्रयास किया जाता है। लूडेनडर्फ ने लिखा है- "ऐसे अनेक अवसर तथा परिस्थितियाँ होती हैं, जब उचित शब्दों में कहा गया तथा उचित अवसर पर प्रयुक्त प्रचार सैकड़ों टन उग्र विस्फोटक पदार्थ की अपेक्षा कारगर सिद्ध होता है।"

"प्रचार द्वारा साधारणतया सारजेन्ट ने प्रचार को परिभाषित करते हुए कहा है कि लोगों की अभिवृत्तियों तथा मतों को और फिर उनके कार्यों को इच्छित दिशा में प्रभावित करने का प्रयास है। विशेषतः यह सुझाव द्वारा किया जाता है न कि तथ्यों और तर्कों द्वारा।" इसी प्रकार प्रचार के अर्थ को स्पष्ट करते हुए पामर एवं पारकिन्स लिखते हैं- "किसी व्यक्ति को किसी विचारधारा से अथवा उसे निश्चित दिशा में कार्य कराने पर सहमत कराने के किसी भी प्रयास को प्रचार कहेंगे। "

प्रथम विश्व युद्ध में जर्मनी की पराजय का प्रमुख कारण अंग्रेजों की भांति प्रचार न करना ही था। अपनी पुस्तक मीनक्राम्फ में हिटलर ने इस बात को स्वीकार करते हुए कहा है कि " अंग्रेज प्रचार के महत्व को समझते थे, परन्तु जर्मन नहीं।" द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान भारतीयों को प्रभावित करने के लिए नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की आजाद हिन्द फौज ने एक ऐसा पर्चा छपवाया था, जिसमें एक चित्र में भारतीयों को भूखों मरते दिखाया गया था और उस पर लिखा था कि "देखो खाने-पीने के सामानों का अंग्रेज कैसी लापरवाही के साथ इस्तेमाल कर रहे हैं, पर हिन्दुस्तानी खाने पीने के सामानों के न होने से भूख से मरे जा रहे हैं। "

इस प्रकार हम देखते हैं कि प्रचार का मनोवैज्ञानिक युद्ध में बहुत महत्व है।

2. अफवाह (Rumour) - मनोवैज्ञानिक युद्ध का दूसरा तरीका अफवाह फैलाना होता है। आजकल मनोवैज्ञानिक युद्धों में अफवाह का बहुत महत्व है। अफवाह के अंतर्गत झूठी बातों को सत्य का कवच फैलाया जाता है। आश्चर्य की बात यह है कि अफवाह फैलाने वाले उसकी जाँच करने का प्रयत्न नहीं करता है। अफवाह एक प्रकार का गुप्त प्रचार है। अफवाह शत्रु राष्ट्र में भेदभाव उत्पन्न करने तथा उनकी जनता एवं सेना का मनोबल तोड़ने के लिए फैलाई जाती है।

3. बुद्धि परिवर्तन एवं विचारारोपण (Brain Washing and Indoctrination)- आधुनिक युद्ध मनोविज्ञान का एक महत्वपूर्ण अंग हैं। इसमें युद्ध बन्दियों को अपने सामाजिक तथा राजनीतिक विचारों से सहमत कराने के लिए तरह-तरह की विधियाँ अपनाई जाती हैं। बुद्धि परिवर्तन से तात्पर्य, "मस्तिष्क में ऐसे विचार भर दो कि मनुष्य की बुद्धि बदल जाये।" डॉ० लालमणि त्रिपाठी के शब्दों में- "युद्ध बन्दियों को अपने सामाजिक, राजनैतिक विचारों एवं भावनाओं से सहमत कराने के लिए जो नई विधियाँ अपनाई जाती हैं, उसे बुद्धि परिवर्तन कहते हैं।

बुद्धि परिवर्तन की प्रक्रिया में विश्वास किया जाता है, कि व्यक्ति उन बातों पर विश्वास करने लगे, जिनमें वह विश्वास नहीं करता अथवा उन कार्यों को करने लगे जिसे वह करना नहीं चाहता। इस प्रकार अपना कार्य सिद्ध हो जाता है।


...पीछे | आगे....

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

    अनुक्रम

  1. प्रश्न- स्त्रातेजी अथवा कूटयोजना (Strategy) का क्या अभिप्राय है? इसकी विभिन्न परिभाषाओं की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
  2. प्रश्न- स्त्रातेजी का उद्देश्य क्या है? स्त्रातेजी के उद्देश्यों की पूर्ति के लिये क्या उपाय किये जाते हैं?
  3. प्रश्न- स्त्रातेजी के सिद्धान्त की विवेचना कीजिए।
  4. प्रश्न- महान स्त्रातेजी पर एक लेख लिखिये तथा स्त्रातेजी एवं महान स्त्रातेजी में अन्तर स्पष्ट कीजिये।
  5. प्रश्न- युद्ध कौशलात्मक भूगोल से आप क्या समझते हैं? सैन्य दृष्टि से इसका अध्ययन क्यों आवश्यक है?
  6. प्रश्न- राष्ट्रीय नीति के साधन के रूप में युद्ध की उपयोगिता पर प्रकाश डालिये।
  7. प्रश्न- स्त्रातेजी का अर्थ तथा परिभाषा लिखिये।
  8. प्रश्न- स्त्रातेजिक गतिविधियाँ तथा चालें किसे कहते हैं तथा उनमें क्या अन्तर है?
  9. प्रश्न- महान स्त्रातेजी (Great Strategy) क्या है?
  10. प्रश्न- पैरालिसिस स्त्रातेजी पर प्रकाश डालिये।
  11. प्रश्न- युद्ध की परिभाषा दीजिए। इसकी विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  12. प्रश्न- युद्धों के विकास पर एक विस्तृत लेख लिखिए।
  13. प्रश्न- युद्ध से आप क्या समझते है? युद्ध की विशेषताएँ बताते हुए इसकी सर्वव्यापकता पर प्रकाश डालिए।
  14. प्रश्न- युद्ध की चक्रक प्रक्रिया (Cycle of war) का उल्लेख कीजिए।
  15. प्रश्न- युद्ध और शान्ति में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  16. प्रश्न- युद्ध से आप क्या समझते हैं?
  17. प्रश्न- वैदिककालीन सैन्य पद्धति एवं युद्धकला का वर्णन कीजिए।
  18. प्रश्न- राजदूतों के कर्तव्यों का विशेष उल्लेख करते हुए प्राचीन भारत की युद्ध कूटनीति पर एक निबन्ध लिखिये।
  19. प्रश्न- समय और कालानुकूल कुरुक्षेत्र के युद्ध की अपेक्षा रामायण का युद्ध तुलनात्मक रूप से सीमित व स्थानीय था। कुरुक्षेत्र के युद्ध को तुलनात्मक रूप में सम्पूर्ण और 'असीमित' रूप देने में राजनैतिक तथा सैन्य धारणाओं ने क्या सहयोग दिया? समीक्षा कीजिए।
  20. प्रश्न- वैदिक कालीन "दस राजाओं के युद्ध" का वर्णन कीजिये।
  21. प्रश्न- महाकाव्यों के काल में युद्धों के वास्तविक कारण क्या होते थे?
  22. प्रश्न- महाकाव्यों के काल में युद्ध के कौन-कौन से नियम होते थे?
  23. प्रश्न- महाकाव्यकालीन युद्ध के प्रकार एवं नियमों की विवेचना कीजिए।
  24. प्रश्न- वैदिक काल के रण वाद्य यन्त्रों के बारे में लिखिये।
  25. प्रश्न- पौराणिक काल में युद्धों के क्या कारण थे?
  26. प्रश्न- प्राचीन भारतीय सेना के युद्ध के नियमों को बताइये।
  27. प्रश्न- युद्ध के विभिन्न सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
  28. प्रश्न- युद्धों के सिद्धान्तों में प्रशासन (Administration) का क्या महत्व है?
  29. प्रश्न- नीति के साधन के रूप में युद्ध के प्रयोग पर सविस्तार एक लेख लिखिए।
  30. प्रश्न- राष्ट्रीय नीति के साधन के रूप में युद्ध की उपयोगिता पर प्रकाश डालिये।
  31. प्रश्न- राष्ट्रीय शक्ति के निर्माण में युद्ध की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
  32. प्रश्न- अतीत को युद्धों की तुलना में वर्तमान समय में युद्धों की संख्या में कमी का क्या कारण है? प्रकाश डालिए।
  33. प्रश्न- आधुनिक युद्ध की प्रकृति और विशेषताओं की विस्तार से व्याख्या कीजिए।
  34. प्रश्न- आधुनिक युद्ध को परिभाषित कीजिए।
  35. प्रश्न- गुरिल्ला स्त्रातेजी पर माओत्से तुंग के सिद्धान्तों का उल्लेख करते हुए गुरिल्ला युद्ध के चरणों पर प्रकाश डालिए।
  36. प्रश्न- चे ग्वेरा के गुरिल्ला युद्ध सम्बन्धी विभिन्न विचारों का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
  37. प्रश्न- गुरिल्ला युद्ध (छापामार युद्ध) के उद्देश्यों का वर्णन कीजिए तथा गुरिल्ला विरोधी अभियान पर प्रकाश डालिए।
  38. प्रश्न- प्रति विप्लवकारी (Counter Insurgency) युद्ध के तत्वों तथा अवस्थाओं पर प्रकाश डालिए।
  39. प्रश्न- चीन की कृषक क्रान्ति में छापामार युद्धकला की भूमिका पर अपने विचार लिखिए।
  40. प्रश्न- चे ग्वेरा ने किन तत्वों को छापामार सैन्य संक्रिया हेतु परिहार्य माना है?
  41. प्रश्न- छापामार युद्ध कर्म (Gurilla Warfare) में चे ग्वेरा के योगदान की विवेचना कीजिए।
  42. प्रश्न- गुरिल्ला युद्ध में प्रचार की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
  43. प्रश्न- गुरिल्ला युद्ध कर्म की स्त्रातेजी और सामरिकी पर प्रकाश डालिये।
  44. प्रश्न- छापामार युद्ध को परिभाषित करते हुए इसके सम्बन्ध में चे ग्वेरा की विचारधारा का वर्णन कीजिए।
  45. प्रश्न- लेनिन की गुरिल्ला युद्ध-नीति की विवेचना कीजिए।
  46. प्रश्न- गुरिल्ला युद्ध क्या है?
  47. प्रश्न- मनोवैज्ञानिक युद्ध कर्म पर एक निबन्ध लिखिए।
  48. प्रश्न- आधुनिक युद्ध क्या है? 'आधुनिक युद्ध अन्ततः मनोवैज्ञानिक है' विस्तृत रूप से विवेचना कीजिए।
  49. प्रश्न- सैन्य मनोविज्ञान के बढ़ते प्रभाव क्षेत्र का वर्णन कीजिए।
  50. प्रश्न- मनोवैज्ञानिक युद्ध के कौन-कौन से हथियार हैं? व्याख्या कीजिए।
  51. प्रश्न- प्रचार को परिभाषित करते हुए इसके विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  52. प्रश्न- अफवाह (Rumor) क्या है? युद्ध में इसके महत्व का उल्लेख करते हुए अफवाहों को नियंत्रित करने की विधियों का वर्णन कीजिए।
  53. प्रश्न- आतंक (Panic) से आप क्या समझते हैं? आंतंक पर नियंत्रण पाने की विधि का वर्णन कीजिए।
  54. प्रश्न- भय (Fear) क्या है? युद्ध के दौरान भय पर नियंत्रण रखने वाले विभिन्न उपायों का वर्णन कीजिए।
  55. प्रश्न- बुद्धि परिवर्तन (Brain Washing) क्या हैं? बुद्धि परिवर्तन की तकनीकों तथा इससे बचने के उपायों का उल्लेख कीजिए।
  56. प्रश्न- युद्धों के प्रकारों का उल्लेख करते हुए विशेष रूप से मनोवैज्ञानिक युद्ध का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
  57. प्रश्न- युद्ध की परिभाषा दीजिए। युद्ध के सामाजिक, राजनैतिक, सैन्य एवं मनोवैज्ञानिक कारणों की विवेचना कीजिए।
  58. प्रश्न- कूटनीतिक प्रचार (Strategic Propaganda ) एवं समस्तान्त्रिक प्रचार (Tactical Propaganda ) में अन्तर स्पष्ट कीजिये।
  59. प्रश्न- प्रचार एवं अफवाह में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  60. प्रश्न- मनोवैज्ञानिक युद्ध की उपयोगिता बताइये।
  61. प्रश्न- युद्ध एक आर्थिक समस्या के रूप में विवेचना कीजिए।
  62. प्रश्न- आर्थिक युद्ध की परिभाषा दीजिए। आर्थिक युद्ध कर्म पर एक निबन्ध लिखिए।
  63. प्रश्न- आधुनिक युद्ध राजनीतिक सैनिक कारणों की अपेक्षा सामाजिक आर्थिक कारकों के कारण अधिक होते हैं। व्याख्या कीजिए।
  64. प्रश्न- आर्थिक क्षमता से आप क्या समझते हैं?
  65. प्रश्न- आधुनिक युद्ध में आर्थिक व्यवस्था का महत्व बताइये।
  66. प्रश्न- युद्ध को प्रभावित करने वाले तत्वों में से प्राकृतिक संसाधन पर प्रकाश डालिए।
  67. प्रश्न- युद्ध कौशलात्मक आर्थिक क्षमताएँ व दुर्बलताएँ बताइये।
  68. प्रश्न- युद्धोपरान्त उत्पन्न विभिन्न आर्थिक समस्याओं का विश्लेषण कीजिये
  69. प्रश्न- युद्ध की आर्थिक समस्यायें लिखिए?
  70. प्रश्न- युद्ध के आर्थिक साधन क्या हैं?
  71. प्रश्न- परमाणु भयादोहन के हेनरी किसिंजर के विचारों की व्याख्या कीजिये।
  72. प्रश्न- आणविक भयादोहन पर एक निबन्ध लिखिये।
  73. प्रश्न- परमाणु भयादोहन और रक्षा के सन्दर्भ में निम्नलिखित सैन्य विचारकों के विचार लिखिए। (i) आन्द्रे ब्यूफ्रे (Andre Beaufre), (ii) वाई. हरकाबी (Y. Harkabi), (iii) लिडिल हार्ट (Liddle Hart), (iv) हेनरी किसिंजर (Henery Kissinger) |
  74. प्रश्न- परमाणु युग में सशस्त्र सेनाओं की भूमिका की विस्तृत समीक्षा कीजिए।
  75. प्रश्न- मैक्यावली से परमाणु युग तक के विचारों एवं प्रचलनों की विवेचना कीजिए।
  76. प्रश्न- आणविक युग में युद्ध की आधुनिक स्रातेजी को कैसे प्रयोग किया जायेगा?
  77. प्रश्न- 123 समझौते पर विस्तार से लिखिए।
  78. प्रश्न- परमाणविक युद्ध की प्रकृति एवं विशिष्टताओं का वर्णन कीजिए।
  79. प्रश्न- आणविक शीत से आप क्या समझते हैं?
  80. प्रश्न- नाभिकीय तनाव को स्पष्ट कीजिए।
  81. प्रश्न- परमाणु बम का प्रथम बार प्रयोग कब और कहाँ हुआ?
  82. प्रश्न- हेनरी किसिंजर के नाभिकीय सिद्धान्त का मूल्यांकन कीजिए।
  83. प्रश्न- व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबन्ध सन्धि (C.T.B.T) से आप क्या समझते हैं?
  84. प्रश्न- हरकावी के नाभिकीय भय निवारण- सिद्धान्त का मूल्यांकन कीजिए।
  85. प्रश्न- आणविक युग पर प्रकाश डालिए।
  86. प्रश्न- हर्काबी के नाभिकीय युद्ध संक्रिया सम्बन्धी विचारों की समीक्षा कीजिए।
  87. प्रश्न- रासायनिक तथा जैविक अस्त्र क्या हैं? इनके प्रयोग से होने वाले प्रभावों की विवेचना कीजिए।
  88. प्रश्न- रासायनिक युद्ध किसे कहते हैं? विस्तार से उदाहरण सहित समझाइए।
  89. प्रश्न- विभिन्न प्रकार के रासायनिक हथियारों पर प्रकाश डालिए।
  90. प्रश्न- जैविक युद्ध पर एक निबन्ध लिखिए।
  91. प्रश्न- रासायनिक एवं जैविक युद्ध कर्म से बचाव हेतु तुलनात्मक अध्ययन कीजिए।
  92. प्रश्न- रासायनिक एवं जीवाणु युद्ध को समझाइये |
  93. प्रश्न- जनसंहारक अस्त्र (WMD) क्या है?
  94. प्रश्न- रासायनिक एवं जैविक युद्ध के प्रमुख आयामों पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
  95. प्रश्न- विश्व में स्थापित विभिन्न उद्योगों में रासायनिक गैसों के उपयोग एवं दुष्प्रभाव परप्रकाश डालिए।
  96. प्रश्न- प्रमुख रासायनिक हथियारों के नाम एवं प्रभाव लिखिए।

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book